होमीओपैथी में मूल दवा का एक भी परमाणु नहीं है तो वह काम कैसे करती है?
जैसे हम आपको पहले बता चुके है की होमिओपैथी शरीर की मार्गदर्शक है. वह शरीर में खुद की बदौलत कोई रासायनिक परिवर्तन ला कर शरीर को ठीक नहीं करती है. वह शरीर का आवाहन करती है.
होमिओपैथी के जनक का यह मानना था की शरीर को हर मर्ज के लिए अलग दवा की जरुरत नहीं है. उसे सम्पूर्ण लक्षण के आधार पर केवल एक ही दवा दी जानी चाहिए. अब सवाल आता है की उस दवा का चयन कैसे करे. तो उन्होंने कहा की उसका चयन केवल एक ही आधार पर हो सकता है. वह आधार ऐसा है. अनेक स्वस्थ व्यक्ति एक औषधीय पदार्थ को खाए जिसके औषधीय गुणों का परिक्षण करना है. उस पदार्थ को खाने के बाद व्यक्तियों में अलग अलग प्रकार के लक्षण प्रकट होंगे. उन सभी लक्षणों को ठीक से लिखे. इस संकलन के आधार पर मटेरिया मेडिका बनाये. तो मटेरिया मेडिका में औषधीय तत्व को खाने के बाद स्वस्थ व्यक्ति में कौनसे लक्षण उत्पन्न होते है यह दिया होता है.
इसके अलावा मटेरिया मेडिका में एक और आधार पर कुछ लिखा जा सकता है. वह आधार है क्लिनिकल अनुभव. याने वह दवा देने के बाद पेशंट के कौनसे रोग ठीक हुए यह क्लिनिक के अनुभव बताते है.
अस्वस्थ व्यक्ति को जब यही दवा उसकी अस्वस्थता के लक्षणों के लिए दी जाती है तो वह ठीक हो जाता है.
सबसे बड़ा अलगपन होमिओपैथी में यह है की इसमें दवा मात्रा में नहीं दी जाती है. दवा आपने देखा होगा की अक्सर मात्रा में दी जाती है जैसे ५ एम जी की गोली, २५ एम जी की गोली. होमिओपैथी में दवा इस प्रकार ना देने का कारण है उसमे मूल तत्व का भौतिक रूप में न होना. केवल मार्गदर्शन के लिए होना.
डा हनिमन ने मानो दवा बनाने की पद्धति में एक क्रांति कर दी. उन्होंने कहा की दवा स्थूल मात्रा में नहीं बल्कि पोटेंसी के रूप में खिलाये.
उन्होंने कहा की पोटेंसी बनाने की दो स्केल है. एक एक्स पोटेंसी और दूसरी सी पोटेंसी.
एक्स पोटेंसी बनाने के लिए मूल दवा एक भाग ले और जो तत्त्व घोल बनाने का काम करेगा उसके ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है १ एक्स पोटेंसी.
इस १ एक्स पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है २ एक्स पोटेंसी.
इस २ एक्स पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है ३ एक्स पोटेंसी.
इस प्रकार जब आप क्रम से आगे बढ़ेंगे तो आप को +१ पोटेंसी मिलती जायेगी. आपको यदि ३० एक्स पोटेंसी चाहिए तो आपको ३० बार यह क्रिया करनी पड़ेगी.
सी पोटेंसी बनाने के लिए मूल दवा एक भाग ले और जो तत्त्व घोल बनाने का काम करेगा उसके ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है १ सी पोटेंसी.
इस १ सी पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है २ सी पोटेंसी.
इस २ सी पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है ३ सी पोटेंसी.
इस प्रकार जब आप क्रम से आगे बढ़ेंगे तो आप को +१ पोटेंसी मिलती जायेगी. आपको यदि ३० सी पोटेंसी चाहिए तो आपको ३० बार यह क्रिया करनी पड़ेगी.
पोटेंसी बनाने की यह सब जटिल क्रिया आपको खुद नहीं करनी है. आज कल पोटेनटेजर मशीने आती है जो अलग अलग पोटेंसी बड़ी आसनी से बनाके देती है.
जब पोटेंसी ३० सी के आगे निकल जाती है तो उसमे मूल दवा का रेणु नहीं होता. उसके पहले मूल दवा का रेणु उसमे होता है.
घोल बनाने के लिए अल्कोहोल का प्रयोग होता है.
आप को होमिओपैथी की दवा घर पर नहीं बनानी है, वह दूकान से लानी है.
हमारा मकसद होमिओपैथी के पीछे क्या विज्ञान है इसे जानना नहीं है. हमारा मकसद है किस तरह एक असरकारी दवा छोटे छोटे गावो तक इंटर नेट, कॉल सेण्टर इत्यादि के माध्यम से पहुचाई जाये. हम यहाँ ऐसे असंख्य मामले प्रस्तुत करेंगे जिसमे आप देखेंगे की होमिओपैथी काम करती है.
जैसे हम आपको पहले बता चुके है की होमिओपैथी शरीर की मार्गदर्शक है. वह शरीर में खुद की बदौलत कोई रासायनिक परिवर्तन ला कर शरीर को ठीक नहीं करती है. वह शरीर का आवाहन करती है.
होमिओपैथी के जनक का यह मानना था की शरीर को हर मर्ज के लिए अलग दवा की जरुरत नहीं है. उसे सम्पूर्ण लक्षण के आधार पर केवल एक ही दवा दी जानी चाहिए. अब सवाल आता है की उस दवा का चयन कैसे करे. तो उन्होंने कहा की उसका चयन केवल एक ही आधार पर हो सकता है. वह आधार ऐसा है. अनेक स्वस्थ व्यक्ति एक औषधीय पदार्थ को खाए जिसके औषधीय गुणों का परिक्षण करना है. उस पदार्थ को खाने के बाद व्यक्तियों में अलग अलग प्रकार के लक्षण प्रकट होंगे. उन सभी लक्षणों को ठीक से लिखे. इस संकलन के आधार पर मटेरिया मेडिका बनाये. तो मटेरिया मेडिका में औषधीय तत्व को खाने के बाद स्वस्थ व्यक्ति में कौनसे लक्षण उत्पन्न होते है यह दिया होता है.
इसके अलावा मटेरिया मेडिका में एक और आधार पर कुछ लिखा जा सकता है. वह आधार है क्लिनिकल अनुभव. याने वह दवा देने के बाद पेशंट के कौनसे रोग ठीक हुए यह क्लिनिक के अनुभव बताते है.
अस्वस्थ व्यक्ति को जब यही दवा उसकी अस्वस्थता के लक्षणों के लिए दी जाती है तो वह ठीक हो जाता है.
सबसे बड़ा अलगपन होमिओपैथी में यह है की इसमें दवा मात्रा में नहीं दी जाती है. दवा आपने देखा होगा की अक्सर मात्रा में दी जाती है जैसे ५ एम जी की गोली, २५ एम जी की गोली. होमिओपैथी में दवा इस प्रकार ना देने का कारण है उसमे मूल तत्व का भौतिक रूप में न होना. केवल मार्गदर्शन के लिए होना.
डा हनिमन ने मानो दवा बनाने की पद्धति में एक क्रांति कर दी. उन्होंने कहा की दवा स्थूल मात्रा में नहीं बल्कि पोटेंसी के रूप में खिलाये.
उन्होंने कहा की पोटेंसी बनाने की दो स्केल है. एक एक्स पोटेंसी और दूसरी सी पोटेंसी.
एक्स पोटेंसी बनाने के लिए मूल दवा एक भाग ले और जो तत्त्व घोल बनाने का काम करेगा उसके ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है १ एक्स पोटेंसी.
इस १ एक्स पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है २ एक्स पोटेंसी.
इस २ एक्स पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है ३ एक्स पोटेंसी.
इस प्रकार जब आप क्रम से आगे बढ़ेंगे तो आप को +१ पोटेंसी मिलती जायेगी. आपको यदि ३० एक्स पोटेंसी चाहिए तो आपको ३० बार यह क्रिया करनी पड़ेगी.
सी पोटेंसी बनाने के लिए मूल दवा एक भाग ले और जो तत्त्व घोल बनाने का काम करेगा उसके ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है १ सी पोटेंसी.
इस १ सी पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है २ सी पोटेंसी.
इस २ सी पोटेंसी के घोल से १ भाग ले और घोल के तत्व का काम करने वाले तत्व के ९९ भाग ले. इनके मिश्रण को जबरदस्त घोल कर शक्ति प्रदान करे. जब आप ऐसा करते है तो बन जाती है ३ सी पोटेंसी.
इस प्रकार जब आप क्रम से आगे बढ़ेंगे तो आप को +१ पोटेंसी मिलती जायेगी. आपको यदि ३० सी पोटेंसी चाहिए तो आपको ३० बार यह क्रिया करनी पड़ेगी.
पोटेंसी बनाने की यह सब जटिल क्रिया आपको खुद नहीं करनी है. आज कल पोटेनटेजर मशीने आती है जो अलग अलग पोटेंसी बड़ी आसनी से बनाके देती है.
जब पोटेंसी ३० सी के आगे निकल जाती है तो उसमे मूल दवा का रेणु नहीं होता. उसके पहले मूल दवा का रेणु उसमे होता है.
घोल बनाने के लिए अल्कोहोल का प्रयोग होता है.
आप को होमिओपैथी की दवा घर पर नहीं बनानी है, वह दूकान से लानी है.
हमारा मकसद होमिओपैथी के पीछे क्या विज्ञान है इसे जानना नहीं है. हमारा मकसद है किस तरह एक असरकारी दवा छोटे छोटे गावो तक इंटर नेट, कॉल सेण्टर इत्यादि के माध्यम से पहुचाई जाये. हम यहाँ ऐसे असंख्य मामले प्रस्तुत करेंगे जिसमे आप देखेंगे की होमिओपैथी काम करती है.
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