Thursday 14 June 2012

गर्मी के मौसम में काम आने वाली दवाइया और कुछ विशेष परिस्थिति में प्रयुक्त दवाइया

गर्मी के मौसम में काम आने वाली दवाइया और कुछ विशेष परिस्थिति में प्रयुक्त होने वाली कुछ दवाइयों पर एक नजर.

हमारे पास एक बन्दा आया. गर्मी से बेहद परेशान. उसने कहा इतनी गर्मी की मानो उसे शरीर में चमड़ी पर सुई चुभ रही है. उसे एपीस मेल ३० की चंद खुराक खाने को दी गयी. पहली खुराक खाने के बाद ही उसने कहा क्या आश्चर्य है. सुई चुभना तो बंद हो गया.

एक सज्जन जो बोलते वक़्त हकलाते थे, उन्हें स्त्रमोनियम २०० सुबह शाम ३ दिन लेने से आराम हो गया.

एक सज्जन पेट फुला हुआ सा रहता है ऐसी शिकायत लेकर आये. उन्हें लाय्कोपोदियम २००, सल्फर २०० और कल्केरिया कार्ब २०० एक के बाद एक लेने से आराम मिला.

एक सज्जन ने कहा की उन्हें पेट में छाती के निचे ऐसा दर्द होता है जैसे कोई उन्हें मार रहा हो. उन्हें अर्निका २०० की कुछ खुराक से लाभ हुआ.

एक सज्जन को खेल कूद से अंडकोष में दर्द शुरू हुआ, उन्हें अर्निका २०० से लाभ हुआ.

एक सज्जन को चेहरे के सिर्फ दाई ओर  दर्द हो रहा था. उन्होंने कहा पूरा चेहरा सिर्फ दाहिनी ओर दर्द करता है. उन्हें लाय्कोपोदियम ३० की चंद खुराको से लाभ हुआ.

एक सज्जन को नक्स वोमिका की असफलता के बाद लाय्कोपोदियम ३० ने कब्ज में जबरदस्त आराम पहुचाया.

एक सज्जन ने कहा की उन्हें रात को नींद नहीं आती. जो सारी बाते उन्हें दिनभर सिखाई जती है वही उनके दिमाग में रात भर चलती है. उन्हें फास्फोरस २०० की कुछ खुराको ने लाभ पहुचाया.

एक सज्जन जो दोपहर में होने वाली आम्ल पित्त की शिकायत लेकर उपस्थित हुए उन्हें लाय्कोपोदियम २०० ने जबरदस्त लाभ पहुचाया.

एक सज्जन जिन्हें गर्मी और पसीने के कारण अंडकोष पर छोटे छोटे फोड़ों के साथ जबरदस्त खुजली हुई सल्फर २०० की चंद खुराको से पीड़ा से संपूर्ण रूप से मुक्त हो गए.

एक सज्जन को परेड में दूर तक चलने से पसीने के कारण काख में और पीठ पर दर्द करने वाले लाल निशान बने. सल्फर ३० की कुछ खुराको से उन्हें दर्द से छुटकारा मिल गया.

एक सज्जन खुजली की पुरानी शिकायत लेकर आये थे. उन्हें सल्फर २०० से आराम मिला. लेकिन खुजली पलटकर आई. उन्हें सुबह आर्सेनिक एल्ब २०० और शाम को सल्फर २०० लेते रहने से राहत मिली.

एक सज्जन को हाथो के तलवो में बहुत पसीना छुटता था. उन्हें कमर दर्द की पुरानी शिकायत थी. क्याल्केरिया कार्ब २०० ने उन्हें तलवों के पसीने में राहत पहुचाई. रहस टॉक्स २०० ने उनके कमर का दर्द ८०% कम कर दिया.

एक सज्जन को पैर के अंगूठे में दर्द था. उन्हें ग्रेफैट २०० से राहत मिली. जब उन्हें गर्मी के कारण खुजली छूटी तो सल्फर २०० ने आराम पहुचाया.

गर्मी से जब आदमी बेहद पानी पिता है, उसका गला सूखता है, मल सुखा आता है और बदन में बुखार जैसा दर्द होता है तो ब्रायोनिया २०० या ३० कारगर साबित होती है. यहाँ नेट्रम मुर के साथ उसकी तुलना करे. ब्रायोनिया यह गुस्सा करने वाला हट्टा कट्टा व्यक्ति है यह एक बात ध्यान रखे.

सफ़र के बाद या खाने में फेर फार से पेट में गडबड़ी होती है तो नक्स वोमिका एक कारगर दवा है.

एक बन्दे को गर्मी के कारण चक्कर आने लगे. ग्लोनोइन ३० ने तुरंत राहत पहुचाई.

एक वयस्क सज्जन गर्मी से व्याकुल हो गए. ग्लोनोइन ३० ने लाभ पहुचाया.

एक तम्बाखू छोड़ने वाले सज्जन को दात में दर्द शुरू हुआ. भोजन करते वक़्त भरी कष्ट होता. स्ताफिसगरिया २०० और हेक्ला लावा ६ ने लाभ पहुचाया.

सुबह के वक़्त आने वाले चक्कर में नक्स वोमिका मदद करता है.

कृपया निम्नलिखित लिंक पर दिया हुआ विवरण भी देखे. इससे उपरोक्त विवरण को समझने में मदद होगी.

ग्रीष्मकालीन शिविर में दी गयी होम्योपैथिक चिकित्सा का विवरण

Sunday 1 January 2012

होम्योपैथी पर एक जबरदस्त विडियो

नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये!!
आपके लिए प्रस्तुत है होम्योपैथी पर एक जबरदस्त विडियो
http://www.youtube.com/watch?v=pxXpUaDpsg8

उम्मीद है आपको पसंद आएगा.

धन्यवाद्.

Thursday 22 September 2011

परिक्षण को अनदेखा न करे, बहोत ज्यादा अतिरेक भी न करे.

यह बहोत जरुरी है की आवश्यक परिक्षण भी किये जाये. यदि किसी व्यक्ति को चक्कर आ रहे है तो उसका बी पी और ब्लड शुगर देख ले.
बात तो सही है की होम्योपैथी में दवा समग्र लक्षण के आधार पर दी जाती है लेकिन यह भी आवश्यक है की व्यक्ति अपना ब्लड शुगर और बी पी नियंत्रित रखे.
एक बुजुर्ग आदमी को चक्कर आने लगे. इसके पहले जब उन्हें चक्कर आये थे तो नक्स वोमिका २०० से आराम हुआ था. सो उन्हें नक्स वोमिका २०० की एक खुराक दी गयी.
बाद में आर्ग निट २०० भी दिया गया क्यों की वे एक उथल पुथल वाले सम्मलेन में जाने को लेकर परेशान थे.
बाद में काली कार्ब २०० और नक्स वोमिका २०० की एक एक खुराक ने उन्हें राहत पहुचाई.
उन्होंने जब अपना ब्लड शुगर और बी पी चेक किया तो पाया की ब्लड शुगर बढ़ा हुआ है. असली आराम तो उसे नियंत्रित करने से ही मिलेगा. तो क्या हर छाती के दर्द के लिए दिल की जाच कराये और सरदर्द के लिए दिमाग का फोटो निकाले? सोचना तो आपको है. इसे अत्यंत आगे ले जाना और पीछे छोड़ देना दोनों खतरे से खाली नहीं.

Wednesday 7 September 2011

होम्योपैथी की दवाइयों में आंतर संबंधो को समझाने वाला एक लेख. (An article explaining inter-relationship of homeopathic remedies.)

होम्योपैथी में दवाए एक दुसरे से सम्बन्ध रखती है. अर्थात एक दवा दूसरी दवा का अनुसरण करने वाली हो सकती है. या एक दवा दूसरी दवा को निरस्त्र करने वाली हो सकती है. दो दवाइया आपस में वैर भाव रखने वाली भी हो सकती है. ऐसा भी संभव है की दो दवाइया एक दुसरे की पूरक हो. और ऐसा भी की दो दवाइयों में कोई भी सम्बन्ध न हो.
हमने जब पहले कहा था की होम्योपैथी में दवाइयों का क्रम मायने रखता है तो इस बात को मद्देनजर रख कर कहा था.
एक बन्दा जो उच्च विद्या विभूषित है, जिसका कमाने की  ओर ध्यान कम है और कहता है की कमाने से अधिक इस बात की ओर ध्यान दे की हमने योगदान कितना किया इसका मूल्यांकन होना चाहिए. सो है तो सल्फर ही. उसे बवासीर की भी तकलीफ थी जिसमे उसे सल्फर और नैट्रिक एसिड ने अच्छा लाभ दिलाया. उसे हरदम एक मीठा मीठा सरदर्द भी चलते रहता है जिससे वह कोई काम लम्बे समय के लिए नहीं कर पाता है. लेकिन कब उसका दिमाग फिर जाए कुछ भरोसा नहीं सो उसमे नक्स वोमिका की झलक भी मिलती है. सर्दी में वह पैर में इतना दर्द महसूस करता है की पैर को जमीन पर रखते ही दर्द होता है और यदि वह ठंडी हवा में सर्दी के मौसम में रहे तो उसके पैर की उंगलियों में सुजन भी आ जाती है. इस तकलीफ में उसे सैलेशिया से राहत मिल जाती है.
एक बार उसने दूषित जल पी लिया. बाद में वह बहोत घबराने लगा. तब उसे आर्सेनिक एल्ब २०० और उसके बाद में सल्फर २०० देने से राहत मिली. जब आदमी खुद की चिंता करता है तो आर्सेनिक एल्ब से राहत मिलती है इस आधार पर उसे आर्सेनिक एल्ब दिया गया. फिर उसे कुछ कब्ज हुई जिसे सल्फर ने ठीक कर दिया. इसके पहले जब उसने ऐसा किया था तो उसे एंटीबायोटिक्स लेने पड़े थे और कुल मिला कर १००-१५० का खर्चा हुआ था.

इस बार बहाना ऐसा हुआ की उसने ३ साल पुराना गुड खा लिया. देखने से ऐसा लगता था की गुड के ऊपर फंगस जमी हुई है. कुछ दिनों के बाद उसे पतले दस्त हुए. दस्त तो पतले थे लेकिन पेट साफ़ नहीं हो रहा था. उसे कैल्क कार्ब २००  की कुछ खुराक दी गयी लेकिन लाभ नहीं हुआ. यहाँ कैल्क का प्रयोग इस आधार पर किया गया की उसपर सिलीशिया काम करती है और सल्फर के बाद कैल्क कार्ब अच्छा असर दिखाती है. उसका पेट थोडा भोजन खाने से ही भरी हो जाता. कुमारी आसव लेने से उसके पेट के भरी होने की समस्या ख़त्म हो गयी. फिर उसे एंटीमोनियम क्रड  २०० खिलाया गया. इसके लगभग एक हप्ते बाद उसे जमकर सर्दी हुई. उसने एक परिचित के यहाँ गरिष्ट भोजन किया. दुसरे दिन उसे बुखार आ गया. उसे नक्स वोमिका २०० और रहस टाक्स २०० अलट पलट कर दिया गया. लेकिन उसका बुखार कम नहीं हुआ. वह अंग्रेजी डाक्टर के पास गया जहा उसे एंटीबायोटिक और एंटीपायरेटिक दिया गया. उसकी प्यास एकदम ख़त्म हो चुकी थी इस आधार पर उसे लायको पोडियम २०० का एक डोज भी दिया गया. जिससे उसे बुखार में तो कुछ राहत मिली लेकिन उसे सर्दी में राहत नहीं मिली. गला भी दर्द हो रहा था और उसे निगलते वक़्त तकलीफ हो रही थी. उसे सिलीशिया २०० दिया गया और बाद में काली मुर ३० और नैटरम फोस ३० दिया गया. अब वह बेहतर महसूस कर रहा है.
उसकी प्यास एकदम ख़त्म हो चुकी थी इस आधार पर उसे बेलाडोंना  २०० का एक डोज भी दिया गया. इसका एक और आधार बनता था उसका सर गर्म होना और बाकि बदन ठंडा. उसके होठ पर एक फोड़ा बन गया है जो एंटीमोनिअम क्रड लेने के बाद उभरा. नक्स वोमिका के कारण फोड़े में तात्कालिक राहत तो मिली लेकिन वह फोड़ा अब भी बरकरार है. काली मुर का चयन कब्ज और इस फोड़े के आधार पर ही किया गया.
लेकिन पूरी बात को यदि देखे तो पता चलेगा की पुराना गुड खाने से और गरिष्ट भोजन करने से सब मुसीबतों को आमंत्रण मिला. इसलिए कहना चाहेंगे की पथ्य ही सर्वोत्तम दवा है.
दो दिन एंटी बायोटिक और एंटी पायरेटिक लेने के बाद भी उसे पूरी राहत नहीं मिली, और उसका पेट साफ़ तो हुआ ही नहीं जो सभी समस्याओ की जड़ था. चुकी उसने सडा हुआ गुड खाया था सो उसे आर्सेनिक एल्ब २०० दिया गया. होम्योपैथी में सल्फर के बारे में कहते है की वह ऐकुट बीमारी में अंत में प्रयोग से बीमारी को ख़त्म कर देता है. सो उसे रात में सल्फर २०० की एक खुराक दी गयी. दुसरे दिन उसे पेट साफ़ होने का अहसास हुआ.